30 Days Festival Competition लेखनी कहानी -17-Oct-2022 बैसाखी(भाग 27 )
शीर्षक :- बैसाखी
भारतवर्ष त्यौहारौ का देश है यहाँ हर रोज त्योहार होता रहता है। उनमें से बैसाखी भी एक प्रमुख त्योहार है। बैसाखी सिक्ख धर्म के लोगो का प्रमुख त्यौहार है । इसे हिन्दू धर्म के लोग भी मनाते है। वैसाखी सिख समुदाय का बड़ा त्यौहार है जो अंग्रेजी माह के अनुसार प्रतिवर्ष 13 या 14 अप्रैल के दिन मनाई जाती हैं। बैसाखी का पर्व एक मौसम आधारित पर्व हैं, जिसे देशभर में बसने वाले हिन्दू एवं सिख भाइयों द्वारा मनाया जाता हैं।
यह केवल उत्तर भारत का त्योहार माना जाता है। विशेषतः यह भारत के दो राज्य पंजाब तथा हरियाणा में ही इसका विशेष महत्व हैं। सिख समुदाय के अलावा भारत के अन्य जातीय एवं मत मजहब के लोग भी बैसाखी का उत्सव मनाते हैं। यह एक कृषि आधारित उत्सव है जो किसानों की फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं।
यह त्योहार आस्था एवं परम्परा की दृष्टि से सिख धर्म से जुड़ा हैं. यह भाई चारे तथा एकता के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाता हैं।
बैसाखी का त्योहार गुरु गोविंद सिंह द्वारा सिख धर्म को संगठित करने की घटना के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं1699 से लगातार यह पर्व मनाया जाता हैं इस तरह बैसाखी का पर्व खालसा पंथ के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
उत्तर भारत में बैसाखी पर्व को इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परम्परा हैं. इस अवसर पर धर्मावलम्बी नयें कपड़े धारण करते हैं तथा घर में पकवान तथा व्यंजन भी बनाए जाते हैं. इस दिन बैसाखी मेला आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। मेले मे भंगडा़ होता है लोग तरह तरह की पोशाक पहनकर भंगडा़ व गिद्धे पर खूब धमाल मचाते है।
बैसे तो बैसाखी पर्व का हिन्दू धर्म से भी गहरा रिश्ता हैं। कायौकि लगभग इसी दिन के आस पास चैत्रमास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती हैं। इस अवसर पर लोग स्नान तथा भोग व पूजन लगाते हैं।। सिखों के गुरुद्वारों में इस अवसर पर कई प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। मन्दिर गुरुद्वारों में दर्शन के बाद पवित्र ग्रंथों का पाठ किया जाता हैं।
इस समय दैश में लगभग रवी की फसल की कटाई शुरू हो जाती है। इस लिए यह सामान्यतया किसानो द्वारा फसल की कटाई करने के बाद मनाया जाता है।इस पर्व को लेकर एक ओर कहानी प्रचलित है, कि ये अंतिम गुरु गोविन्द सिंह की याद में मनाया जाता है. क्योकि इसी दिन गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
इस दिन लोग अपनी पवित्रता के लिए पवित्र नदियों में स्नान करने जाते है. तथा अपने पापो का नाश करते है। इस दिन लोग नए कपडे पहनकर नए नए व्यंजन बनाते है। और खुशिया बांटते है ।
ये पर्व भाईचारे और एकता का पर्व है। इस पर्व के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे लाखो लोगो की भीड़ देखी जा सकती है. ये मेला नदी के किनारे होता है. जहा लोग नदी में स्नान करते है।
इस मेले का दृश्य अपने आप में मनोहर होता है।इस मेले में अनेक मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों की दुकाने, झूले, लोग तथा नाटककार होते है। जो लोगो का मनोरंजन करते है। ये मेला अपने आप में धार्मिक तथा भाईचारे का उत्साह होता है।
वैसाखी के अवसर पर पुरुष और महिलाए सामूहिक रूप से नृत्य करते है. तथा डांडिया खेल खेलते है। जिसमे डंडी को उछालते है. पकड़ते है। इस प्रकार इस दिन काफी मौज मस्ती की जाती है. तथा सारी गम को भुला दिया जाता है।
प्रमुख रूप से इस पर्व का आनंद किसानो द्वारा लिया जाता है। जो अपनी फसल पक जाने की ख़ुशी जाहिर करते है। तथा इस पर्व को और भी बेहतर बनाते है।किसानो की ख़ुशी को देखकर हर किसी का मन खुश हो जाता है।
इस पर्व पर नृत्य के साथ साथ लोगो द्वारा बैसाखी की ख़ुशी के गीत भी गाए जाते है, जो बहुत ही मधुर और अच्छे होते है. वैसाखी गीत की राग हर किसी को इस पर्व का आनंद उठाने के लिए मजबूर कर देती है।
बैसाखी के इस पावन पर्व पर गाँवों में सभा होती है. तथा सभी लोग हंसी मजाक करते है। तथा एक दुसरे से मिलकर बधाईयाँ देते है. इस प्रकार एकता और भाईचारे की एक मिशल देखने को मिलती है।
शाम के समय में सभी लोगो के घ रौ में अनेक पकवान बनाए जाते है. तथा सभी एक दुसरे को अपने घर बुलाकर प्यार बांटते है. तथा एक दुसरे के घर जाकर भोजन करते है।
रात के समय में कई धार्मिक कार्यक्रम होते है। जिसमे भगवान के भजन तथा उपदेश और शिक्षा की बाते बताई जाती है. जिसे लोग अपने जीवन में ग्रहण कर अपने जीवन का उद्धार करते है।
30 Days Festival Competition हेतु रचना।
नरेश श
Gunjan Kamal
17-Nov-2022 02:14 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Rafael Swann
14-Nov-2022 07:53 PM
Behtreen 🙏
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Khushbu
13-Nov-2022 05:44 PM
Nice
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